श्रवण कुमार गुप्ता
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श्री राम सेवा समिति एवं कानपुर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वाधान में चल रही श्री मद्भागवत कथा का आज षष्टम दिवस संपन्न हुआ कथा व्यास आचार्य दीपक कृष्ण जी महाराज ने बताया कि भगवान ने ग्वालबालो के द्वारा गिराराज पूजन करवाया और हमें यह सीख दी कि हम मन्दिर के देवताओं की पूजा भले न करें लेकिन हमें अपने माता-पिता और गुरु को सदैव भगवान ही मानना चाहिए सारे तीर्थ माता के चरणों में और सारे देव पिता के चरणों में निवास करते हैं जो प्रातः काल उठकर अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करता है उसे चार धाम की यात्रा का फल प्राप्त होता है। कामदेव को जब अहंकार हो गया था तब वह अपने को विश्व विजयी मानने लगे थे और ब्रह्मा जी के पास गए तो ब्रह्मा जी ने उसे भगवान कृष्ण के पास भेजा और रासलीला के द्वारा भगवान ने काम पर विजय प्राप्त करी भगवान की बांसुरी को सुनकर जब सारी गोपीकाएं भगवान के पास गई तो पहले भगवान ने उनके समर्पण की परीक्षा ली और उसके बाद उन गोपिकाओं के साथ महारास किया यह महारास कोई गोप गोपी का मिलन नहीं अपितु जीव और ब्रह्म के मिलन की लीला है जब तक जीव पूर्ण रूप से भगवान में समर्पित नहीं होगा तब तक वह इस लीला के महत्व को नहीं जान पाएगा भगवान अक्रूर जी के साथ वृंदावन से मथुरा आए और खेल खेल में ही उन्होंने भगवान शिव के धनुष को तोड़ दिया तब कंस ने उन्हें मारने के लिए हाथी को लगाया भगवान ने उसे भी मार दिया अन्त में कंस का वध किया और अपने माता-पिता वासुदेव और देवकी को तथा अपने नाना उग्रसेन को कारागार से मुक्त किया और उग्रसेन जी को राज सिंहासन पर विराजमान किया भगवान पढ़ने के लिए उज्जैन में संदीपनी मुनी के आश्रम में गए और 64 दिन में 64 कलानिधान बन गए गुरु दक्षिणा के रूप में गुरुदेव के मृत पुत्र को यमराज के यहां से लाकर उन्हें सौंप दिया मथुरा में भगवान के परम मित्र उद्धव जी को ज्ञानी से प्रेमी बनाने के लिए भगवान ने उन्हें वृंदावन भेजा जहां गोपिकाओं के प्रेम के आगे उद्धव जी को अपना ज्ञान गूदड़ी के सामान लगा और उन्होंने अपने ज्ञान को जहां छोड़ वह स्थान आज भी वरनदावन में ज्ञान गूदड़ी के नाम से जाना जाता है भगवान के लिए ज्ञान और प्रेम में प्रेम अधिक प्रिय भगवान स्वयं कहते हैं #रामहि केवल प्रेम पियारा जान लेव जो जाननि हारा# जरासंध से बचने के लिए भगवान ने समुद्र में द्वारकापुरी का निर्माण करवाया और द्वारिकाधीश बन गए बलराम जी का विवाह रेवती मैया के साथ सम्पन्न हुआ और भगवान कृष्ण का विवाह राक्षसी विधि के द्वारा मैया रुक्मणी के साथ में संपन्न हुआ भगवान ने रुक्मणी के प्राण निवेदन पर उनका हरण किया और उनके साथ विवाह किया इस अवसर पर राधा कृष्ण भगवान के विवाह की झांकी भी प्रस्तुत की गई और सभी भक्तों ने भगवान के विवाह में खूब आनंद लूटा ।
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