*ई का हुई गवा*
बंद यहाँ पर मंदिर, चर्च,और गुरुद्वारा है।
खुशकिस्मत *शराब* की बोतल,खुले बहे रसधारा है।।चालिस दिन से रही शांति।।
सबके घरों में सदभाव क्रान्ति।।
पीकर बोतल क्वाटर की घर में होंगे दो- दो हाँथ।
आमदनी सब बन्द है ,घर के हालात तंग हैं। लाकडाउन की जंग में खम्भा तो संग है।।
पिटेगी पत्नी बिलखेगे बच्चे
शराब पीकर बोलेगे
"हम तो सबसे अच्छे"
समझ न आए क्या इससे बढ़ेगी अर्थव्यवस्था।
बिखर न जाए परिवार की सुखद व्यवस्था।। चहुं ओर फैला करोना । फिर बीवी ,बच्चों का रोना।। कैसे चलिहै परिवारिक व्यवस्था। जनमानस की है मार्मिक व्यथा।।
बात मानि लैओ मेरी सुजान
फिर से लाओ बीवी बच्चों
के चेहरों पर मुस्कान। आपका प्रत्यूष द्विवेदी
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